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आये वो हमारी महफ़िल में कुछ इस तरह

कि हर तरफ़ चाँद-तारे झिलमिलाने लगे,

देखकर दिल उनको झूमने लगा

सब के मन जैसे खिलखिलाने लगे.

 
 
 

फिर उसी बेवफा पे मरते हैं

फिर वही ज़िन्दगी हमारी है

बेखुदी बेसबब नहीं ग़ालिब

कुछ तो है जिस की पर्दादारी है |

 
 
 

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